एशिया-प्रशांत क्षेत्र में भारत, कोरिया का विस्तारित भूमिका की संभावनाओं पर विचार करना

July 14, 2018

एशिया-प्रशांत क्षेत्र में भारत का बढ़ता कद, क्षेत्र के रणनीतिक और सुरक्षा गणना में इसकी विस्तारशील भूमिका के साथ ही क्षेत्रीय व्यापार और निवेश भागीदार के रूप में इसका बढ़ता महत्व तेजी से प्रकट हो रहा है। दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति मून जए-इन की भारत यात्रा के दौरान और दक्षिण कोरिया के भारत सरकार के साथ किए गए हस्ताक्षरित समझौतों की भरमार से भारत की बढ़ती ताकत को पुन: समर्थन मिला था।
पिछले कुछ दशकों में उत्तर और दक्षिण कोरिया दोनों के साथ भारत के राजनीतिक और व्यापारिक संबंध भारत को अलग-अलग दोनों देशों के बीच शांतिपूर्ण प्रक्रिया में हल निकालने के लिए एक महत्वपूर्ण सहयोगी बनाते हैं। यद्यपि भारत चीन या यूएसए जैसे शांति वार्ता में सीधे शामिल नहीं है, लेकिन वर्षों से एशिया-प्रशांत क्षेत्र में बनाए गए रिश्ते के व्यापक और जटिल जाल को देखते हुए इससे होने वाले परिणाम में भारत की भूमिका और हिस्सेदारी है।
इस अवसर पर, भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा: “मैंने राष्ट्रपति मून से कहा कि पूर्वोत्तर और दक्षिण एशिया के प्रसार संबंध भी भारत के लिए चिंता का कारण हैं और इसलिए, भारत भी इस शांति प्रक्रिया की सफलता में एक हितधारक है।”
व्यापार एवं निवेश संबंधों का विस्तार करना
यात्रा के महत्व का अनुमान राष्ट्रपति मून की अपनी पहली यात्रा के साथ आई टीम को देखकर ही लगाया जा सकता है। राष्ट्रपति के साथ विदेश मंत्री, व्यापार मंत्री और छोटे और मध्यम उद्यमों के मंत्री और स्टार्टअप्स भारत यात्रा पर आए थे। एक बड़े व्यापार प्रतिनिधिमंडल के अलावा, मिशन के हिस्से के रूप में कई अन्य वरिष्ठ अधिकारी और सलाहकार भी शामिल थे।
दोनों देशों के संबंधित आउटरीच कार्यक्रमों के बीच पर्याप्त तालमेल भी है: दक्षिण कोरिया की न्यू साउथ स्ट्रेटजी में भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी का ब्यौरा है, जिसमें इस क्षेत्र के अन्य देशों के साथ कोरिया की भागीदारी शामिल है। दोनों देशों के बीच बैठकों के लिए रणनीतिक, सुरक्षा, व्यापार और निवेश संबंधों सहित कई मुद्दे हैं। भारत-कोरिया संबंधों के कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर नजर डालें तो दोनों देशों के बीचे रिश्तों के बढ़ते महत्व का स्पष्ट पता चलता है।
निवेश की बात करें तो, कोरियाई कंपनियों ने भारत में 6.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर का संचयी निवेश किया है, जिसमें से 3 अरब अमेरिकी डॉलर पिछले तीन वर्षों में अकेले आए हैं। इस निवेश ने अप्रत्यक्ष नौकरियां पैदा करने के अलावा, 1 लाख से अधिक नौकरियां सीधे तौर पर पैदा की हैं। कोरियाई कंपनियां मेक इन इंडिया पर तेजी से ध्यान केंद्रित कर रही हैं, ताकि वे भारतीय बाजारों के साथ ही तीसरे देश के बाजारों की जरूरतों को पूरा कर सकें।
राष्ट्रपति मून की यात्रा के दौरान दोनों देशों के निवेश संबंधों को और मजबूती मिली, जब उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के साथ नई दिल्ली के पास नोएडा में सैमसंग के मोबाइल हैंडसेट विनिर्माण संयंत्र का उद्घाटन किया। यह संयंत्र हर साल 120 मिलियन हैंडसेट तैयार करने की क्षमता के साथ दुनिया का सबसे बड़ा मोबाइल विनिर्माण संयंत्र होगा। संयंत्र को 655 मिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश के साथ स्थापित किया गया है और साथ ही इससे 15 हजार स्थानीय नौकरियां अतिरिक्त पैदा होने की उम्मीद है।
इसी तरह, किया मोटर 3 लाख कार निर्माण की क्षमता वाला एक नया संयंत्र आंध्र प्रदेश में स्थापित कर रही है। यह भारत में कोरियाई कंपनियों (अन्य निर्माता हुंडई मोटर) द्वारा उत्पादित कुल कारों की संख्या को हर साल 6 लाख तक ले जाएगा, जो देश का चौथा सबसे बड़ा कार उत्पादक आधार तैयार होगा। कुल मिलाकर, कोरिया की कई फर्मों ने इलेक्ट्रॉनिक्स क्षमता, ऑटोमोबाइल, वस्त्र (टेक्निकल टेक्सटाईल सहित), रसायन और खाद्य प्रसंस्करण में उत्पादन क्षमता का एक महत्वपूर्ण विस्तार पूरा करने की योजना तैयार की है।
अनुसंधान और विकास में भागीदारी
यहां तक कि रक्षा निर्माण में भी, जो भारत सरकार के मेक इन इंडिया कार्यक्रम के लिए एक महत्वपूर्ण निर्माण आधार है, कोरियाई कंपनियों ने काफी पहल की है। हनवा रक्षा प्रणाली ने भारतीय इंजीनियरिंग कंपनी लार्सन एंड टुब्रो के साथ करार किया है, ताकि वे वज्र स्वचालित 155 मिमी आर्टिलरी बंदूक प्रणाली, जिसे कोरिया में के-9 थंडर भी कहा जाता है, उसका निर्माण कर सकें। कंपनी के पास पहले से ही 150 इकाइयों के आदेश हैं, जो इसे भारत और कोरिया के बीच 870 मिलियन अमेरिकी डॉलर का सबसे बड़ा रक्षा सौदा बनाते हैं।
दोनों पक्षों ने यह भी स्वीकार किया है कि भारत-कोरिया संबंधों के विस्तार और गहराई को देखते हुए 20 अरब अमेरिकी डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार की मात्रा में उल्लेखनीय वृद्धि की जानी चाहिए। दोनों पक्ष बाद में 2030 तक हासिल किए जाने वाले दो-तरफा व्यापार के लिए 50 अरब अमेरिकी डॉलर के लक्ष्य पर सहमत हुए हैं। भारत और कोरिया एक-दूसरे के देशों में निवेश करने और व्यापार करने के तरीके में स्पष्ट रूप से एक-दूसरे के पूरक हैं।
इसलिए, दोनों देशों के बीच मौजूदा कॉम्प्रेहेन्सिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप एग्रीमेंट (सीईपीए) को अपग्रेड करने पर वार्ता प्रगति पर है, दोनों पक्षों ने प्रारंभिक हार्वेस्ट पैकेज के तत्वों को अंतिम रूप दिया है जो अंतत: एक उन्नात सीईपीए का नेतृत्व करेंगे। अर्ली हार्वेस्ट पैकेज तेजी से व्यापार उदारीकरण (भारत से संसाधित मछलियों सहित, झींगा और मोलस्क) के प्रमुख क्षेत्रों की पहचान करके सीईपीए को अपग्रेड करने के लिए चल रही वार्ता में सुविधा प्रदान करेगा।
भविष्य की चौथी औद्योगिक क्रांति के लाभांश हासिल करने के लिए दोनों पक्षों ने विशेष रूप से अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों के विकास में दोनों देशों के बीच सहयोग के लिए फ्यूचर स्ट्रेटजिक ग्रुप के एक प्रारंभिक समझौते पर हस्ताक्षर किए। महत्व वाले क्षेत्रों में बुजुर्गों और दिव्यांगों के लिए इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी), आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), बिग डेटा, स्मार्ट फैक्ट्री, 3 डी प्रिंटिंग, बिजली चलित वाहन, एडवांस मैटेरियल्स और सस्ती हेल्थकेयर सेवा शामिल हैं।
यात्रा के दौरान संपन्ना अन्य समझौते विभिन्न क्षेत्रों – जैसे कि व्यापारिक मामलों के उपचार में सहयोग, रेलवे, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में सहयोग को आगे बढ़ाने में, जैव-प्रौद्योगिकी, दूरसंचार, छोटे और मध्यम उद्यम क्षेत्र, संस्कृति और लोगों से लोगों में सहयोग का आदान-प्रदान शामिल है।

Recent Articles

Modi, Trump discuss trade, security and technology as tariff negotiations continue

December 12, 2025

With negotiations on tariffs and broader trade issues between India …

Read More

India-Canada explore stronger parliamentary and people-to-people ties in Ottawa meetings

December 11, 2025

India’s High Commissioner to Canada met the Speaker of the …

Read More

India and EU push to fast track free trade agreement talks in New Delhi

December 9, 2025

India and the European Union have agreed to intensify efforts …

Read More