एक साल में जी.एस.टी ने भारतीय कर-आधार को और मज़बूत किया

“जी.एस.टी का एक वर्ष पूरा होने के विशेष अवसर पर, मैं भारत के लोगों को बधाई देता हूं। सहकारी संघवाद और 'टीम इंडिया' भावना के जीवंत उदाहरण, जी एस टी ने भारतीय अर्थव्यवस्था में सकारात्मक बदलाव ला दिया है”: प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी।

August 17, 2018

30 जून, 2018 को, भारत ने गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स (जी एस टी) के शुरू होने की वर्षगांठ मनाई। जी एस टी एक ऐसी एकीकृत देशव्यापी व्यवस्था है, जिसमे 17 अप्रत्यक्ष करों और अनेक उपकरों के स्थान पर केवल एक कर है।

इसके क्रियान्वयन को लेकर शुरुआती महीनों में कई परेशानियों आईं, जिनके कारण कर दाताओं को अनुपालन संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ा। लेकिन इन सभी समस्याओं को या तो हल कर दिया गया है, या ऐसा करने की प्रक्रिया जारी है।

जी एस टी लागू होने से भारत के कर-आधार में उल्लेखनीय बढ़ोत्तरी हुई है। दाखिल किए गये रिटर्न्स की संख्या के साथ-साथ कर राशि दोनो में हुई वृद्धि के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिला है।

जब की जी एस टी व्यवस्था अभी विकास के दौर में है, भारत सरकार कई ऐसे बदलावों पर विचार कर रही है, जो आने वाले महीनों में इस प्रक्रिया को और सरल बनाएँगे और करदाताओं को अधिकतम लाभ पहुँचाएंगे।

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 30 जून 2018 को गुड्स एवं सर्विसेज़ टैक्स (जी एस टी) की पहली वर्षगांठ पर देश को बधाई देते हुए संतोष व्यक्त किया कि “जी एस टी से कर व्यवस्था में विकास, सादगी और पारदर्शिता आई है।” इस नई और बेहतर टैक्स संरचना से राष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली और भी सुव्यवस्थित तो हो ही रही है, साथ ही इस से बेहतर उत्पादकता, ‘ईज़ ऑफ डूयिंग बिज़्नेस’ में सुधार एवं छोटे और मध्यम उद्यमों को लाभ भी मिल रहा है। प्रधान मंत्री ने ‘वन नेशन, वन टैक्स, वन मार्केट’ की उपलब्धियों को दर्शाने वाला एक इश्तिहार भी जारी किया।

आजादी के बाद अब तक का सबसे महत्वपूर्ण आर्थिक सुधार माने जाने वाली जीएसटी प्रणाली  को 1 जुलाई 2017 को संसद के केंद्रीय हॉल में आयोजित एक ऐतिहासिक मध्यरात्रि समारोह में प्रारंभ किया गया था। कई दशकों की बहस के बाद आखिर जी एस टी एक वास्तविकता बन गया, जिसके साथ नई उम्मीदों के साथ साथ आशंकाएँ भी जुड़ी थीं। जीएसटी के क्रियान्वयन में शुरुआती समस्याएं अवश्य आयीं, जो कि इतने बड़े पैमाने और परिमाण के सुधार के लिए अपेक्षित भी था, ख़ासकर यह देखते हुए की विश्व की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाला देश भारत,  दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था है।

चुनौतियों से निपटने के प्रभावी उपाय

जी एस टी लागू होने के शुरुआती कुछ महीनों में इसके क्रियान्वयन को लेकर कई गंभीर परेशानियां सामने आईँ, जैसे कुछ वस्तुओं और सेवाओं पर जीएसटी की लागत पर संशय, अनुपालन आवश्यकताओं को समझने में परेशानी, आईटी पोर्टल में खामियाँ और टैक्स रिफंड की प्रक्रिया में देरी, आदि। इन परेशानियों ने संभवतः अनौपचारिक और असंगठित क्षेत्र के करदाताओं को सबसे ज्यादा प्रभावित किया, क्योंकि उनके पास नई प्रणाली को अपनाने के लिए आंतरिक क्षमताएं और संसाधन सीमित थे।

जी एस टी(GST) परिषद के साथ काम करते हुए केंद्रीय तथा राज्य सरकारों ने मिलकर जी एस टी(GST) में कई संशोधन किए, अनुपालन को और आसान बनाया और रिटर्न्स दाखिल करने की समय सीमा को आगे बढ़ाया ताकि करदाताओं को नई व्यवस्था को समझने का पर्याप्त समय मिल सके।  केंद्रीय वित्त मंत्री की अध्यक्षता में सभी राज्यों के वित्त मंत्रियों को शामिल कर जी एस टी(GST) परिषद का गठन किया गया है, जो जीएसटी नीति और इसके क्रियान्वयन से संबंधित सिफारिशों के लिए एक महत्वपूर्ण संवैधानिक अंग है। इस परिषद की अभी तक 27 बैठकें हो चुकी हैं।

अब, एक वर्ष के पश्चात, भारतीय जीएसटी प्रणाली काफ़ी विकसित हो चुकी है। इसमे अनेक संशोधन लाए गये जिससे इसके अनुपालन एवं पारदर्शिता में बढ़ोत्तरी हुई है। नवंबर 2017 में, जीएसटी काउंसिल ने सार्वजनिक खर्च में बढ़ावा और निवेश भावना को पुनः तीव्र करने के लिए 28 प्रतिशत जी एस टी(GST) वर्ग की 228 वस्तुओं की सूची में काट-छांट करते हुए इसे केवल 50 वस्तुओं तक सीमित कर दिया। उसके बाद से 28% जी एस टी(GST) वर्ग को और भी सीमित किया जा रहा है, तथा अब इसमे ज़्यादातर लॅग्ज़ॅरी की वस्तुएँ ही बची हैं।

अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए जीएसटी

जी एस टी(GST) का मुख्य उद्देश्य, अनेक अप्रत्यक्ष करों का एक ही कर में समावेश, काफी हद तक सफल हो चुका है, जिसके कारण विभिन्न करों के व्यापक प्रभाव को खत्म किया जा सका है। जी एस टी के सबसे महत्वपूर्ण प्रभावों में से एक है कर-आधार का व्यापक होना। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बताया है कि 2017-18  में कुल 6.86 करोड़ आयकर रिटर्न जमा किए गये, जिसमें 1.06 करोड़ नए करदाता शामिल हैं।

इसके अलावा, 2018-19 की पहली तिमाही,  अप्रैल से जून 2018, के दौरान जमा हुए अग्रिम-कर में 44 प्रतिशत वृद्धि व्यक्तिगत आयकर श्रेणी में, और 17 प्रतिशत वृद्धि कॉर्पोरेट कर श्रेणी में देखी गयी है। अप्रैल 2018 में जीएसटी के तहत 14.5 अरब अमेरिकी डॉलर का संग्रह हुआ, और केंद्रीय वित्त मंत्रालय को उम्मीद है कि वित्तीय वर्ष 2018-19 में औसत मासिक जीएसटी संग्रह 16 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच सकता है।

राष्ट्रीय औद्योगिक गतिविधि के सूचकांक इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन इंडेक्स (आईआईपी) में, अप्रैल से मार्च 2017-18 के दौरान पिछले वर्ष की इसी अवधि के मुकाबले 4.3 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई, जो दर्शाती है कि जीएसटी लागू होने के बाद औद्योगिक गतिविधियों में तेजी आई है। फिर भी, सरकार इस बात से पूरी तरह सचेत है कि जीएसटी अभी विकास के चरण में ही है और इसके अनुपालन संबंधी प्रक्रियाओं में और सुधार की आवश्यकता है।

जी एस टी संरचना में संशोधन

जीएसटी से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए सरकार आवश्यक कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध है। आने वाले समय में जिन बदलावों के आकार लेने की संभावना है, वो हैं:

  • टैक्स संग्रह बढ़ने पर जीएसटी दरों और क्षेनियों का युक्तिकरण।
  • जी एस टी प्रणाली के एक महत्वपूर्ण घटक, इनपुट क्रेडिट मॅचिंग, को फिलहाल कार्यान्वित नही किया गया है, ताकि बदलाव के चरण को आसान बनाया जा सके।
  • जी एस टी से बाहर रखे गए उत्पादों – पेट्रोलियम, रियल एस्टेट, बिजली, शराब – को जीएसटी के अंतर्गत लाने के लिए रोडमैप।
  • कानून की व्याख्या और फैसले पारित करने में समानता सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय अथॉरिटी फॉर एडवांस रूलिंग (एएआर) प्राधिकरण की स्थापना।
  • करदाताओं के लिए रिटर्न दाखिल करना और सरल बनाने के लिए एक नयी प्रक्रिया को लागू करना।

हालांकि यह बदलाव कठिन और कष्टदायक रहा है, लेकिन वित्त मंत्री का मानना है कि जी एस टी जैसे बड़े टैक्स सुधार को कम से कम बाधाकारी तरीके से लागू करने में भारत सफल रहा है। श्री जेटली ने अपने ट्वीट में जी एस टी परिषद में “संघीय शासन के मामले में इतिहास बनाने” के लिए राज्यों के वित्त मंत्रियों की भागीदारी की सराहना की। “इसका परिणाम यह होगा कि अंतरराष्ट्रीय अनुबंधों में भारत की आर्थिक ताकत की गूंज सुनाई देगी”।

इसमें कोई संदेह नहीं कि भारतीय अर्थव्यवस्था को जी एस टी से लाभ होगा। विश्लेषकों का अनुमान है कि उचित क्रियान्वयन एवम और भी व्यवस्थित रूप से चलाए जाने पर, आयेज चल कर जी एस टी अकेले ही भारतीय सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में अतिरिक्त 2 प्रतिशत का योगदान दे सकता है। एकीकृत टैक्स पॉलिसी होने से निवेश गंतव्य के रूप में भारत की आकर्षक छवि बनने की आशा है और व्यापार करने की सुविधा में सुधार होगा।

Recent Articles

India must strengthen core capabilities to secure long term growth, says CEA

November 18, 2025

Chief Economic Advisor V. Anantha Nageswaran underscored the need for …

Read More

India set to remain fastest growing G20 economy despite US tariff strains: Moody’s

November 17, 2025

India is expected to withstand the tariff turbulence triggered by …

Read More

Trump signals tariff cuts for India as both sides move closer to new trade deal

November 14, 2025

US President Donald Trump indicated that his administration would lower …

Read More