भारत और कोरिया का एशिया-प्रशांत क्षेत्र में व्यापार और निवेश और बढ़ाने का प्रयास

दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति मून जेए-इन की हालिया भारत यात्रा, एशिया-प्रशांत क्षेत्र में भारत के बढ़ते कद व क्षेत्रीय व्यापार और निवेश में भागीदार के रूप में भारत के महत्व को दर्शाती है।

July 13, 2018

हालांकि दक्षिण और उत्तरी कोरिया के बीच शांति वार्ता में चीन या अमेरीका की तरह, भारत प्रत्यक्ष रूप से शामिल नहीं है - लेकिन इस वार्ता के परिणाम में भारत की भूमिका और हिस्सेदारी से इनकार नही किया जा सकता

भारत की ‘एक्ट-ईस्ट’ नीति और दक्षिण कोरिया की नई दक्षिण रणनीति एक दूसरे के पूरक हैं, जिसमें दक्षिण-पूर्व एशियाई क्षेत्र के अन्य देशों के साथ कोरिया के संबंध भी शामिल हैं

दक्षिण कोरियाई कंपनियों ने भारत में अब तक कुल 6.8 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश किया है, जिसमें से 3 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश केवल पिछले तीन वर्षों में हुआ है, जो दोनो देशों के बीच सहयोग में आए तेज़ विकास का सूचक है

दोनों पक्ष यह मानते हैं कि भारत-कोरिया संबंधों की गहराई और विस्तार को देखते हुए, द्विपक्षीय व्यापार को मौजूदा 20 अरब अमेरिकी डॉलर के स्तर से और बढ़ाने की ज़रूरत और संभावनाएँ दोनो हैं

एशिया-प्रशांत क्षेत्र में भारत का बढ़ता स्तर, क्षेत्रीय रणनीति और सुरक्षा में विस्तारशील भूमिका के साथ-साथ क्षेत्रीय व्यापार और निवेश भागीदार के रूप में भारत का बढ़ता महत्व, तेजी से स्पष्ट हो रहा है। राष्ट्रपति मून जेए-इन की यात्रा के दौरान दोनो सरकारों के बींच अनेक समझौतों पर हस्ताक्षर, भारत की इस बढ़ती ताक़त की पुष्टि करते हैं।

उत्तर और दक्षिण कोरिया के साथ भारत के राजनीतिक और व्यापारिक संबंध, जो कि पिछले कुछ दशकों में और मज़बूत हुए हैं, भारत को दोनों देशों के बीच चल रही शांति प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण सहयोगी बनाते हैं। हालांकि इस शांति वार्ता में चीन या अमेरीका की तरह, भारत प्रत्यक्ष रूप से शामिल नहीं है, लेकिन एशिया-प्रशांत क्षेत्र के देशों के साथ रिश्तों के व्यापक और पेचीदा जाल को देखते हुए, इस वार्ता के परिणाम में भारत की भी भूमिका और हिस्सेदारी है।

इस अवसर पर, भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा: “मैंने राष्ट्रपति मून से कहा कि पूर्वोत्तर और दक्षिण एशिया के प्रसार संबंध भी भारत के लिए चिंता का कारण हैं और इसलिए, भारत भी इस शांति प्रक्रिया की सफलता में साझेदार है।”

व्यापार एवं निवेश संबंधों में विस्तार

राष्ट्रपति मून की इस यात्रा के महत्व का अनुमान उनकी पहली भारत यात्रा पर उनके साथ आए प्रतिनिधि मंडल को देखकर ही लगाया जा सकता है। राष्ट्रपति के साथ विदेश मंत्री, व्यापार मंत्री और छोटे व मध्यम उद्यमों एवं स्टार्टअप्स के मंत्री भारत यात्रा पर आए थे। एक बड़े व्यापार प्रतिनिधिमंडल के अलावा, कई अन्य वरिष्ठ अधिकारी और सलाहकार भी इस मिशन में शामिल थे।

दोनों देशों के संबंधित आउटरीच कार्यक्रमों के बीच पर्याप्त तालमेल भी है: भारत की ‘एक्ट-ईस्ट’ नीति और दक्षिण कोरिया की नई दक्षिण रणनीति एक दूसरे के पूरक हैं, जिसमें दक्षिण-पूर्व एशियाई क्षेत्र के अन्य देशों के साथ कोरिया के संबंध भी शामिल हैं। भारत-कोरिया संबंधों के कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर नजर डालें तो दोनों देशों के बीच रिश्तों का बढ़ता महत्व और भी स्पष्ट हो जाता है।

निवेश की बात करें तो, कोरियाई कंपनियों ने भारत में अब तक कुल 6.8 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश किया है, जिसमें से 3 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश केवल पिछले तीन वर्षों में हुआ है। इस निवेश के फलस्वरूप 100,000 से अधिक लोगों को सीधे तौर पर रोज़गार मिला, जिसके अलावा अप्रत्यक्ष रोज़गार को भी बढ़ावा मिला। कोरियाई कंपनियां मेक इन इंडिया पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं, ताकि वे तेज़ी से बढ़ते भारतीय बाजार के साथ साथ, तीसरे देशों के बाजारों में भी अपना उत्पाद पहुँचा सकें ।

राष्ट्रपति मून की यात्रा के दौरान दोनों देशों के निवेश संबंधों को और मजबूती मिली, जब उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के साथ नई दिल्ली के पास नोएडा में सैमसंग कंपनी की मोबाइल हैंडसेट फॅक्टरी का उद्घाटन किया। यह फॅक्टरी हर साल 12 करोड़ मोबाइल हैंडसेट तैयार करने की क्षमता के साथ दुनिया की सबसे बड़ी मोबाइल फॅक्टरी होगी। इस फॅक्टरी को 65.5 करोड़ अमेरिकी डॉलर के निवेश के साथ स्थापित किया गया है और यहाँ 15 हजार स्थानीय लोगों को रोज़गार मिलने की उम्मीद है।

इसी प्रकार, किया मोटर आंध्र प्रदेश में 3 लाख कार निर्माण की क्षमता वाला एक नया संयंत्र स्थापित कर रही है। इससे भारत में कोरियाई कंपनियों (अन्य निर्माता हुंडई मोटर) द्वारा उत्पादित कुल कारों की संख्या 6 लाख प्रतिवर्ष हो जाएगी, जो कोरिया का विश्व में चौथा सबसे बड़ा कार उत्पादन आधार होगा। कुल मिलाकर, कोरिया की कई कंपनियों ने इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल, वस्त्र (टेक्निकल टेक्सटाईल सहित), रसायन और खाद्य उत्पादन क्षमता में बड़ा विस्तार करने की योजनाएँ तैयार की हैं।

शोध एवं विकास में भागीदारी

रक्षा उत्पादन में भी, जो कि भारत सरकार की मेक इन इंडिया योजना का एक महत्वपूर्ण अंग है, कोरियाई कंपनियों ने काफी पहल की है। वज्र स्व-संचालित 155mm आर्टिलरी बंदूक प्रणाली, जिसे कोरिया में के9 थंडर कहा जाता है, का भारत में निर्माण करने के लिए कोरिया की हनवा डिफेन्स सिस्टम ने भारतीय इंजीनियरिंग कंपनी लार्सन एंड टुब्रो के साथ करार किया है । कंपनी के पास पहले से ही 150 इकाइयों की आपूर्ति के अनुबंध हैं, जिसका मूल्य 87 करोड़ अमेरिकी डॉलर है, जो इसे भारत और कोरिया के बीच सबसे बड़ा रक्षा सौदा बनाते हैं।

दोनों पक्ष यह मानते हैं कि भारत-कोरिया संबंधों की गहराई और विस्तार को देखते हुए, द्विपक्षीय व्यापार को मौजूदा 20 अरब अमेरिकी डॉलर के स्तर से और बढ़ाने की ज़रूरत और संभावनाएँ हैं। दोनों देश द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ा कर वर्ष 2030 के लिए 50 अरब अमेरिकी डॉलर के लक्ष्य पर सहमत हुए हैं। भारत और कोरिया एक-दूसरे के देशों में व्यापार और निवेश करने के तरीके में स्पष्ट रूप से पूरक हैं।

इस लक्ष्य को पाने के लिए दोनों देशों के बीच मौजूदा कॉम्प्रेहेन्सिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप एग्रीमेंट (सीईपीए) को अपग्रेड करने पर वार्ता प्रगति पर है। दोनों पक्षों ने प्रारंभिक हार्वेस्ट पैकेज के तत्वों को अंतिम रूप दे दिया है जो अंतत: एक उन्नत सीईपीए तैयार करने में सहायक होंगे। प्रारंभिक हार्वेस्ट पैकेज तेजी से व्यापार उदारीकरण के प्रमुख क्षेत्रों (जिसमे झींगा, मोलॅस्क और भारत से संसाधित मछली शामिल हैं) की पहचान करके सीईपीए को अपग्रेड करने के लिए चल रही वार्ता में मदद करेगा।

दोनों पक्षों ने फ्यूचर स्ट्रॅटेजिक ग्रूप के गठन के लिए प्रारंभिक समझौते पर हस्ताक्षर किए. यह ग्रूप अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों के विकास में सहयोग को बढ़ावा देगा, ताकि दोनो देश चौथी औद्योगिक क्रांति से लाभान्वित हो सकें।
महत्वपूर्णा क्षेत्रों में इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी), आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), बिग डेटा, स्मार्ट फैक्ट्री, 3 डी प्रिंटिंग, इलेक्ट्रिक वाहन, एडवांस मैटेरियल्स और बुजुर्गों और विकलांगों के लिए किफायती हेल्थकेयर शामिल हैं।

यात्रा के दौरान संपन्न अन्य समझौते विभिन्न क्षेत्रों मे हैं, जैसे व्यापारिक विवादों के उन्मूलन में सहयोग, रेलवे, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में सहयोग, जैव-प्रौद्योगिकी, दूरसंचार, छोटे व मध्यम उद्योग क्षेत्र, संस्कृति और लोगों से लोगों में संपर्क।

Recent Articles

Oman sees rising tourism ties with India as a key growth area

January 9, 2025

Oman remains a cornerstone of India’s West Asia policy and …

Read More

Diaspora vital to India’s vision of a global workforce: EAM Jaishankar

January 9, 2025

External Affairs Minister S Jaishankar, addressing the Pravasi Bharatiya Divas …

Read More

Government to launch new credit guarantee scheme for MSMEs

January 9, 2025

The government is set to introduce a new credit guarantee …

Read More