भारत के स्टार्ट-अपस के लिए पहले से बढ़ा प्रोत्साहन

भारत के परिवर्तन के लिए मैं स्टार्टअप्स, प्रौद्योगिकी और इनोवेशन को प्रभावी साधन के रूप में देखता हूं। हम स्टार्टअप्स को सक्षम बनाना चाहते हैं और इस क्षेत्र में भारत को नंबर 1 बनाना चाहते हैं। भारत में कोई भी जिला या ब्लॉक ऐसा नहीं रहना चाहिए जिसमें स्टार्टअप नहीं हों। स्टार्टअप इंडिया, स्टैंडअप इंडिया: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

July 27, 2018

भारत को 2017 में पीई निवेश में रिकॉर्ड 24.4 अरब अमेरिकी डॉलर प्राप्त हुए, जो 2015 के पिछले अधिकतम स्तर 19.3 अरब अमेरिकी डॉलर की तुलना में 26% अधिक है, और 2016 में प्राप्त 15.4 अरब अमेरिकी डॉलर के मुक़ाबले 59% अधिक है

2015 से भारतीय और दक्षिणपूर्व एशियाई बाजारों में कुल पीई तथा वीसी तकनीक (VC tech) निवेश का 56 प्रतिशत हिस्सा (मूल्य के आधार पर) तेजी से विकसित होते प्रौद्योगिकी और नवाचार (इनोवेशन) क्षेत्र को मिला है

भारतीय रिजर्व बैंक ने भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) के नेतृत्व में फंड ऑफ फंड्स स्थापित करने के लिए 1.5 अरब अमेरिकी डॉलर आवंटित किए हैं

भारत में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र है, जिसके प्रति वर्ष 10-12 फीसदी बढ़ने की उम्मीद है, और जहाँ हर साल 1000 से अधिक नए स्टार्टअप जन्म लेते हैं

हाल ही में वॉलमार्ट-फ्लिपकार्ट के बीच हुए 16 अरब अमेरिकी डॉलर के समझौते ने भारतीय स्टार्ट-अप निवेश जगत में नई जान फूंक दी है। इसने विदेशी के साथ-साथ उभरते घरेलू निवेशकों – वेंचर कैपिटल (वीसी) और प्राइवेट इक्विटी (पीई) – को वित्त पोषण के नए दौर को प्रेरित किया है। 2017 में भारत में पीई / वीसी में हुआ कुल निवेश अभी तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया, और यह गति 2018 में भी जारी रहने की उम्मीद है। इस क्षेत्र के विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में पनपे उद्यमियों और स्टार्टअप्स ने वैश्विक दिग्गजों के खिलाफ अच्छी प्रतिस्पर्धा पेश की है और अपने निवेशकों को फायदा पहुंचा रहे हैं। यही कारण है कि देश में अधिक से अधिक पूंजी निवेश हो रहा है।

यूएसए की ग्लोबल रिस्क मैनेजमेंट फर्म क्रॉल एवं डील ट्रैकिंग फर्म मर्जरमार्केट (एक्यूरिस) की रिपोर्ट के मुताबिक, 2015 के बाद से भारतीय और दक्षिणपूर्व एशियाई बाजारों में कुल पीई तथा वीसी तकनीक (VC Tech) निवेश का 56 प्रतिशत हिस्सा (मूल्य के आधार पर) तेजी से विकसित होते प्रौद्योगिकी और नवाचार (इनोवेशन) क्षेत्र को मिला है। यूएसए स्थित वेंचर कैपिटल एंड स्टार्टअप डेटाबेस सीबी इनसाइट्स की एक रिपोर्ट के अनुसार 2014 के बाद से भारत के मुख्य आर्थिक केंद्रों में, नई दिल्ली और बेंगलुरु में सबसे ज्यादा स्टार्टअप निवेश हुए, जो 10 करोड़ अमरीकी डॉलर से भी अधिक हैं। बेंगलुरू में 21 निवेश हुए, जबकि नई दिल्ली में इनकी संख्या 18 रही।

निवेश के ये “मेगा” दौर भारतीय स्टार्टअप क्षेत्र में विशाल अवसर को प्रतिबिंबित करते हैं। भारत में कुछ बड़े विदेशी निवेशों में ऑनलाइन मार्केट प्लेस फ्लिपकार्ट और पेटीएम, सवारी-टैक्सी सेवा ओला के साथ-साथ ऑनलाइन ग्रॉसर बिगबास्केट और स्विगीज शामिल हैं। भारतीय कंपनियों में निवेश का यह तेजी का दौर मुख्यतः जापानी इंटरनेट कंपनी सॉफ्टबैंक समूह के कारण आया, जिसने फ्लिपकार्ट और ओला समेत भारतीय पारिस्थितिकी तंत्र में 7 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक का निवेश किया है। अब, दुनिया के कुछ सबसे बड़े फंड्स ने भारत में निवेश के लिए अरबों डॉलर जुटा लिए हैं या जुटा रहे हैं, जिनके निवेश समझौते स्टार्ट-अप्स के शुरुआती चरण से लेकर विकसित चरण तक विस्तृत हैं।

सरकार अपनी भूमिका निभा रही है

इस बीच, भारत सरकार स्टार्टअप इंडिया पहल के माध्यम से एक उद्यमशील पारिस्थितिक तंत्र के निर्माण की दिशा में अपना काम कर रही है। 2015 में प्रारंभ किया गया स्टार्ट-अप्स पर केंद्रित यह कार्यक्रम रोजगार बढ़ाने और अर्थव्यवस्था के विकास की रणनीति की आधारशिला के रूप में स्टार्ट-अप्स को प्रोत्साहित करता है। भारतीय रिजर्व बैंक ने भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) द्वारा संचालित ‘फंड ऑफ फंड्स’ की स्थापना के लिए 1.5 अरब अमरीकी डालर आवंटित किए हैं। सिड्बी इस फंड में 15 प्रतिशत योगदान के लिए प्रतिबद्ध है। भारत कुल 11,000 से अधिक मान्यता प्राप्त स्टार्ट-अप्स हैं, और स्टार्टअप इंडिया पहल के तहत अभी तक 129 को वित्त पोषित किया गया है।

वैश्विक अर्थव्यवस्था में वित्तीय अनिश्चितताओं ने हतोत्साहित करने के बजाय, वास्तव में निवेशकों को भारत के विशाल, सुरक्षित और तेजी से बढ़ते बाजार की ओर आकर्षित कर दिया है। 2018 की पहली छमाही में, वेंचर कैपिटल निवेश में पहली बार आने वाले लगभग आधा दर्जन निवेशकों ने भारत में अपनी शुरुआत की है। इन निवेशकों के भारत समर्पित फंड्स शुरुआती से लेकर मध्य-चरण के स्टार्ट-अप्स में निवेश करेंगे । इस दौर की एक उत्साहजनक विशेषता यह है कि इनमें से कई फंड्स में मुख्य निवेशक भारतीय कंपनियाँ हैं। इसके अतिरिक्त, कुछ वैश्विक फंड्स के भारत कार्यालयों में कार्यरत वरिष्ठ अधिकारी उनसे अलग हो कर, अपने स्वयं के फंड्स स्थापित कर रहे हैं।

कार्य संबंधी अनुभव और ज्ञान के अलावा, इन अधिकारियों का दावा है कि वैश्विक परिचालक की तुलना में भारत में वे स्वयं पूंजी को बेहतर विस्तारित कर सकते हैं। भारतीय निवेशकों के साथ-साथ यूएसए, जापान, चीन, रूस व अन्य देशों के फंड्स की भारत में सहभागिता को निवेशकों के बढ़ते विश्वास की पुष्टि के रूप में देखा जा रहा है, कि स्थानीय स्टार्ट-अप्स भी वैल्यू सृजन कर सकते हैं, भले ही उन्हें विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा करनी पड़े। इस बीच, पीई निवेशक इंटरनेट और सॉफ्टवेयर क्षेत्र की परिपक्व स्टार्ट-अप्स के लिए भी पूंजी के महत्वपूर्ण स्रोत के रूप में उभर रहे हैं। उल्लेखनीय है की अब तक इस क्षेत्र में लगभग पूरी तरह से सॉफ्टबैंक, नास्पर्स लिमिटेड और चीनी इंटरनेट दिग्गजों टेन्सेंट

होल्डिंग्स और अलीबाबा समूह का प्रभुत्व था।

साथ ही कई हेज फंड्स, जिन्होंने 2014-2015 में आई तेज़ी के दौरान परिपक्व स्टार्ट-अप्स में निवेश किया था, वे अब या तो भारत में काम नहीं कर रहे हैं या निवेश में भारी कटौती कर चुके हैं। इस सन्दर्भ में, एक वैकल्पिक स्रोत के रूप में, पीई निवेशकों की परिपक्व स्टार्टअप्स में दिलचस्पी काफ़ी महत्वपूर्ण है। गौर तलब है कि पीई फर्म्स चयनशील निवेशक रहे हैं, जो अपेक्षाकृत सुरक्षित स्टार्ट-अप्स को ही चुनते हैं, जो न सिर्फ़ परिपक्व हैं बल्कि अपने संबंधित क्षेत्रों में नंबर 1 या 2 तक भी पहुंच चुके हैं, या पहुँचने की क्षमता रखते है।

सुधरते भारतीय बाजार

वेंचर इंटेलिजेंस द्वारा संकलित आंकड़ों के मुताबिक भारत को 2017 में पीई निवेश में रिकॉर्ड 24.4 अरब अमेरिकी डॉलर प्राप्त हुए, जो 2015 के पिछले अधिकतम स्तर 19.3 अरब अमेरिकी डॉलर की तुलना में 26% अधिक है, और 2016 में प्राप्त 15.4 अरब अमेरिकी डॉलर के मुक़ाबले 59% अधिक है । विशेशग्योन का मानना है कि कुछ आखिरी शेष बाधाओं के हटने पर वास्तव में भारत में निवेश का बांध खुल सकता है। इन शेष बाधाओं में से एक है, लिक्विडिटी और निकासी के आयाम। मैक्रो स्तर पर देखें तो, वैकल्पिक संपत्ति वर्ग में भारत में अब तक 100 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक का निवेश हुआ है, लेकिन अब तक 40 अरब अमेरिकी डॉलर से कम निवेशकों को वापस मिल पाया है।

विदेशी निवेशक / सीमित साझेदार (एलपी) आम तौर पर भारत में आंकलन योग्य निकासियाँ देखते हैं, जो संख्या में बहुत कम हैं। इसकी तुलना में, सीबी इनसाइट्स रिपोर्ट के अनुसार, बीजिंग और शंघाई ने 2012 से अब तक 50 से अधिक बड़ी निकासियाँ (10 करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक) देखी हैं। भारत में हालिया फ्लिपकार्ट-वॉलमार्ट मेगा डील इस परिप्रेक्ष्य से एक बहुत ही सकारात्मक संकेत है, जहां रणनीतिक निवेशक ने फ्लिपकार्ट के मौजूदा निवेशकों को बहुत आकर्षक निकासी दी है। उद्योग विशेषज्ञों का अनुमान है कि आने वाले महीनों में ऐसी और भी डील्स भारतीय स्टार्टअप निवेश जगत में विस्तारित गतिविधि शुरू करने के लिए निवेशकों का विश्वास बढ़ाएंगी।

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अनुसार, भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र है, जिसके प्रति वर्ष 10-12 फीसदी बढ़ने की उम्मीद है, और जहाँ हर साल 1000 से अधिक नए स्टार्टअप जन्म लेते हैं। स्टार्टअप इंडिया पहल के अलावा, भारतीय सरकार की डिजिटाईजेशन (डिजिटल इंडिया), निवेश (मेक इन इंडिया), कौशल विकास (कौशल भारत), ई-गवर्नेंस जैसी अन्य योजनाएँ स्टार्ट-अपस के लिए विशाल अवसर प्रदान करती हैं। इनके तहत स्टार्ट-अपस रोजगार, इनोवेशन और औद्योगिकीकरण के स्रोत के रूप में भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

Recent Articles

India posts trade surplus with 151 countries, faces deficit with China and Russia

September 2, 2024

According to a report by the Global Trade Research Initiative …

Read More

PM Modi to visit Singapore in early September to boost strategic partnership

August 30, 2024

Prime Minister Narendra Modi will visit Singapore on 4-5 September …

Read More

Jan Dhan Yojana completes ten years, transforms financial inclusion in India

August 30, 2024

The Pradhan Mantri Jan Dhan Yojana (PMJDY), the first major …

Read More